Thursday, February 11, 2016

बचपन


नदी का किनारा, वो अमिया की बगिया,
वो सुबह का मौसम, घड़ों का निकलना,
वो पानी में छप छप, वो आँखों का धुलना,
वो खेतों को जाते, बैलो की रुनझुन,
वो चिड़ियों की चहचह, वो लोगों का शोर,
नदी का किनारा, वो अमिया की बगिया। 

वो पेड़ों की डालों पे हमारा फुदकना,
वो दिनभर नदी में, मछलियाँ पकड़ना,
वो लड़कपन का खेलना, वो मेढ़ों पे दौड़ना,
वो दोस्तों का झगड़ना, वो रूठना मनाना,
नदी का किनारा, वो अमिया कि बगिया।

शाम ढले चाँद का पेड़ों पे उगना,
तारों सितारों का झिलमिल चमकना,
नदी की कोलाहल में संगीत का मिलना,
बहुत याद आता है बचपन हमारा,
वो नदी का किनारा, वो अमिया की बगिया।

शील रंजन

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