Saturday, March 12, 2016

हम मुल्क़ बनाते हैं


आज से सोए लोगों को जगाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥ 

आज से आपसी तक़रारों को भुलाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥ 
 आज अपने दिमाग से ऊँच-नीच को मिटाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥ 

आज से आपस में तालमेल बिठाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥ 
 आज से सबसे दिल से दिल मिलाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥

आज से एक-दूसरे को अपनाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥ 
 आज से सब साथ पंगत में बैठकर खाते हैं। 
 आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥ 

आज से सारे नाते-रिश्ते को निभाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥ 
 आज से एक ख़ुशनुमा महफ़िल सजाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥

आज से सब खुशियों के गीत गाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥ 
 आज सब प्रगति का दीपक जलाते हैं। 
 आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥

 आज से बच्चों को कहानियाँ सुनाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥
 आज से सब पर्यावरण को बचाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥ 

आज से साथ खेतों में हल चलाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥

आज से एक दूसरे के पर्व में शरीक हो आते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥

आज से सब ईद में गले लग जाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥ 

आज से सब होली साथ मनाते हैं। 
आओ मिलकर हम मुल्क़ बनाते हैं॥" 

-राहुल कुमार मुरमु

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