पीटी में
पीटते,
पीटर से
पंचम आश्रम समूह के,
पाकशाला
प्रभारी ने पूछा,
पाक-पाक
पहुँचे पर पीट गए,
क्या हुआ जो
पंक्ति से पदार्पित हो,
पाँच चक्कर
के पंक्पयोदी में फँस गये,
पीटर चक्कर
लगाता रहा,
और कहता रहा,
ये पीटी की
सीटी बजाते हैं,
चतुर्थ
आश्रम वर्ग वालों का दर्द,
आधा समय हम
चक्कर लगाते हैं.
ये तृतीय
वालों की बहार है,
सीटी सुन के
उठते हैं,
हम सोये
नहीं कि,
स्वप्न में
भी पीटी पीटी करते हैं.
चार
किलोमीटर का फासला,
क्या कम
होता है,
पीटी करने
वाले समझते हैं,
कब कैसा
मौसम होता है.
ठण्ड लगी ज़रा सी खड़े क्या होते हैं,
आ धमकते हैं,
पता नहीं
नज़र कैसे रखते हैं.
पढ़ाई तो
लगती कूल है,
फिर लगा
चक्कर,
पीटी लगती
फजूल है.
रमेश रॉय