मैंने कई बार चाहा कि तुम्हारे साथ आऊँ , कई बार सोचा कि तुमसे ढेर सी बातें करूँ बातें तारों की , बातें सपनों की , बातें तरुणाई के रंगों की , बातें रेशमी पलकों की, बातें सुनहरी अलकों की , बातें मीठी खीर की , बातें पराई पीर की
लेकिन तुम कभी नहीं आए , कभी नहीं रुके , मेरे इस फलसफ़े के लिए, जो जितना ही नन्हा था , उतना ही बचकाना और आज जब तुम वहाँ हो, जहाँ से हमको भी हमारी खबर नहीं आती, अपने आँगन में तुलसी का इक बिरवा लगा रहा हूँ , तुम्हारे नाम का !!!
मैंने कई बार चाहा कि तुम्हारे साथ आऊँ , कई बार सोचा कि तुमसे ढेर सी बातें करूँ
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बातें सुनहरी अलकों की , बातें मीठी खीर की , बातें पराई पीर की
लेकिन तुम कभी नहीं आए , कभी नहीं रुके , मेरे इस फलसफ़े के लिए, जो जितना ही नन्हा था , उतना ही बचकाना
और आज जब तुम वहाँ हो, जहाँ से हमको भी हमारी खबर नहीं आती, अपने आँगन में तुलसी का इक बिरवा लगा रहा हूँ , तुम्हारे नाम का !!!
Thanks
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