Sunday, November 10, 2013

My Dear Friend

 
 

2 comments:

  1. मैंने कई बार चाहा कि तुम्हारे साथ आऊँ , कई बार सोचा कि तुमसे ढेर सी बातें करूँ
    बातें तारों की , बातें सपनों की , बातें तरुणाई के रंगों की , बातें रेशमी पलकों की,
    बातें सुनहरी अलकों की , बातें मीठी खीर की , बातें पराई पीर की

    लेकिन तुम कभी नहीं आए , कभी नहीं रुके , मेरे इस फलसफ़े के लिए, जो जितना ही नन्हा था , उतना ही बचकाना
    और आज जब तुम वहाँ हो, जहाँ से हमको भी हमारी खबर नहीं आती, अपने आँगन में तुलसी का इक बिरवा लगा रहा हूँ , तुम्हारे नाम का !!!

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