नव गुंजन

Tuesday, July 29, 2014

एक मुक्तछंद कविता


Posted by Vishwajeet Sapan at 12:19 No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest

Monday, July 14, 2014

खंडहर


Posted by Vishwajeet Sapan at 09:37 No comments:
Email ThisBlogThis!Share to XShare to FacebookShare to Pinterest
Newer Posts Older Posts Home
Subscribe to: Posts (Atom)

Followers


Total Pageviews

Search This Blog

Popular Posts

  • Amazing Lilies
     Watch beautiful video of water lilies. How amazing they are https://youtu.be/FgQrk611UQ8
  • Amazing Lilies Part II
     सभी मित्रों का हार्दिक स्वागत है। आज यह वीडियो देखें और आनंद लें। लिंक नीचे है।  https://youtu.be/0dMHYrT00d8 आपका  विश्वजीत 'सपन'
  • प्लास्टिक के फूल
    प्लास्टिक के फूलों की ज़िन्दगी कितनी सूनी है , देखने में असली पर हक़ीक़त में नक़ली है। कितना ही चाहें कि फ़िज़ा में...
  • जरत्कारु का बलिदान
      नागकन्या जरत्कारु नागराज वासुकी की बहन थी। नागों के मिले शाप से मुक्ति उसके पुत्र द्वारा ही संभव थी। किस प्रकार उसने नागों की सहायता हेतु ...
  • Water Lily
      Don't miss the end. Watch lilies unfurl Part III on my new YouTube Channel "Nature Lover's Club." https://youtu.be/vc9TZ...
  • " राजनीति "
    मैं तुम्हारा हित चाहने वाला! मिला करता हूँ तुमसे हर रोज़ इस वक्त  इन अखबारों में.  कह नहीं सकता तुमसे कुछ वर्ना किसी कवि की ये ...
  • लेडी डॉक्टर (हास्य कविता)
    हुआ गजब संयोग एक दिन , जब मैं भटक रहा था अस्पताल में , लगा कल तक धरती पर था , आज आ गया कहाँ पाताल में ? ...
  • हरि अनंत हरि कथा अनंता -भाग-५
    " इंटरमीडिएट की परीक्षा" ================          नेतरहाट इंटर परीक्षा में मेरे बैच का सेण्टर राँची हो गया था। यहाँ...
  • "कुछ नहीं है मेरा"
    अंबर-धरती तेरे नाम है , चाँद-सितारे तेरे नाम है , मुझपे बहुतों का एहसान है, मोह-माया से करता हूँ किनारा, सबकुछ है ...
  • ''वाजश्रवा '' (छंदमुक्त कविता)
    नाराज है वाजश्रवा आज भी अपने पुत्र से , समय के परिवर्तन में नहीं बदली परिस्थिति, हाँ पात्र बदल गये, स्थिति आज भी उतनी ही गंभीर ...

Blog Archive

  • ►  2021 (7)
    • ►  August (2)
    • ►  July (3)
    • ►  June (2)
  • ►  2017 (1)
    • ►  March (1)
  • ►  2016 (15)
    • ►  September (1)
    • ►  June (1)
    • ►  May (5)
    • ►  April (3)
    • ►  March (1)
    • ►  February (3)
    • ►  January (1)
  • ►  2015 (17)
    • ►  December (1)
    • ►  November (4)
    • ►  October (3)
    • ►  September (5)
    • ►  August (1)
    • ►  June (1)
    • ►  April (1)
    • ►  January (1)
  • ▼  2014 (28)
    • ►  November (1)
    • ►  October (1)
    • ►  September (3)
    • ►  August (3)
    • ▼  July (2)
      • एक मुक्तछंद कविता
      • खंडहर
    • ►  June (3)
    • ►  May (2)
    • ►  April (3)
    • ►  March (4)
    • ►  February (3)
    • ►  January (3)
  • ►  2013 (20)
    • ►  December (2)
    • ►  November (2)
    • ►  October (2)
    • ►  September (4)
    • ►  August (2)
    • ►  July (1)
    • ►  June (6)
    • ►  May (1)
Awesome Inc. theme. Powered by Blogger.