Saturday, May 24, 2014
Sunday, May 04, 2014
हास्य कविता
दिल
लगाते लगाते जब तार तार हो गया,
जैसे ही दोस्तों को पता चला,
मुफ्त सलाह का अम्बार लग गया,
किसी ने कुछ तो किसी ने कुछ
एक ने कहा "दिल
ही बदल डालो"
ये सलाह मुझको कुछ जम गया
जैसे सारा दुःख एक साथ थम गया
हमने तुरंत दे डाला
इश्तिहार दिल बदलने का
दिल
की मंडी में भूचाल आ गया
मेसेज और रिंग टोन का पहाड़ छा गया
क्या अमेरिका क्या इंडिया
एक पे एक ख्याल आ गया
एक ने मेसेज भेजा, "गारंटी दिल बदलो,
लग जाये तब पैसा भेजो"
दूसरे ने कहा, "दिल
है पागल हसीना
पा के छूटे पसीना
लाइन न लगे तो मुफ्त रिप्लेसमेंट"
फिर मेसेज आया, "डबल
सिम है यानि दो दिल है
टु इन 1 होने का लुफ्त उठाओ"
इतने में एक मोहतरमा काबुल से फरमाई
उम्र अपना 90 साल बताई
कहा, "दिल
मेरा कुंवारा है
बड़े
जतन से सम्हाला है
संवेदना का नाम नहीं
इसलिए इसका कोई दाम नहीं,
दिखता चमकीला है
मगर
बिलकुल पथरीला है
पास
कोई फटकेगा
नहीं इसलिए कोई अँटकेगा
नहीं कोई जोर से टकराएगा
खुद चूर चूर हो जायेगा
मेरी मानो तो अभी लगा लो
बाकि का जीवन तुम्हारा संवर
जायेगा
मेरा क्या भरोसा
दम तो कभी
भी निकल जायेगा"
अब देखिये विदेशी डीलर का क्या ऑफर आया
"इम्पोर्टेड दिल लगाओ ये बहुत भायेगा
तार
तार न होगा कभी भले सुराख़ हो जायेगा
जब-जब ये टूटेगा सारा दर्द बाहर निकल जायेगा"
मैंने सबसे ये पूछा
"एक टुकड़ा ऐसा जिसे मैं खोना नहीं चाहता
क्या ये भी नए दिल में रह पायेगा ?"
सब ने कहा, "ये नहीं हो पायेगा"
सुनकर ये बात मैं होश में आ गया
दिल
बदलने की बात हवा में उड़ा गया
पता
नहीं नया दिल क्या गुल खिलायेगा
जैसा भी है दिल है तो मेरा ही
अब तो ये बस मेरे साथ ही जायेगा.
अशोक सिन्हा
Subscribe to:
Posts (Atom)