दुकानों की शटरें गिरायी जा रही हैं,
दर्द को पीने की आदत बनाई जा रही है,
ना कहने की जुर्रत करने वालों के यहाँ सरेआम लूट मचायी जा रही हैं,
ना कहने की जुर्रत करने वालों के यहाँ सरेआम लूट मचायी जा रही हैं,
इंसान ही तो है इंसान का दुश्मन, यह
बात बताई जा रही है,
आज कमाओ तब खाओ,
आज कमाओ तब खाओ,
कभी भूखे पेट ही लेट जाओ,
ऐसे दैनिक शर्तों पर जीने वाले भूखे
मजबूर घरों में आज बंद हैं,
जाएँ या ना जाएँ यही उनके मन-मस्तिष्क का आज एक द्वंद्व हैं,
आख़िर वे करें भी तो क्या करें क्योंकि भारत आज बंद हैं।
गरीब जनता के वोट से,
जाएँ या ना जाएँ यही उनके मन-मस्तिष्क का आज एक द्वंद्व हैं,
आख़िर वे करें भी तो क्या करें क्योंकि भारत आज बंद हैं।
गरीब जनता के वोट से,
नोटों की चोट से,
गरीबी मिटाने के वादे से,
जीत हासिल करने वाले,
एक राष्ट्रीय स्तर के दल का आज भारत
बंद है,
भूखे पेट रहने की सज़ा काट रहें मजबूरों
से अनुबंध है,
सड़कों पे उतरकर भीड़ का हिस्सा बनना ही
सुरक्षित है,
देश की गरीब जनता से बंद में सहयोग अपेक्षित है।
देश की गरीब जनता से बंद में सहयोग अपेक्षित है।
************************************************ अभिषेक कुमार, 322
प्रेम आश्रम, 2000-2004
"Dard ko peene ki aadat banai ja ri h "
ReplyDeleteExactly what's happening..!!!
aabhaar aapka Saurabh ji
Deleteवाह
ReplyDeleteडॉ. कुंदन कुमार जी,
Deleteबहुत-बहुत आभार...