अंबर-धरती तेरे
नाम है,
चाँद-सितारे
तेरे नाम है,
मुझपे बहुतों का
एहसान है,
मोह-माया से
करता हूँ किनारा,
सबकुछ है तेरा
कुछ नहीं है मेरा।
बने बनाए
दुनियां में कुछ नहीं है मेरा,
सबने भावनाओं से
खेला कोई नहीं है मेरा।
सिर्फ नाम का
हूँ रंगीला,
आदर्शों में नित
होता हूँ गीला-गीला,
यूँ हीं रहना है
अकेला,
सबकुछ है तेरा
कुछ नहीं है मेरा।
ये दौलत तेरे
नाम है,
ये शोहरत तेरे
नाम है,
मुझे न जीना सब
है झमेला,
सबकुछ है तेरा
कुछ नहीं है मेरा।
मेरे अपने भी अब
तेरे हैं,
मेरे सपने भी अब
तेरे हैं,
मैं बेचैन सा
उड़ता हुआ गुब्बारा,
सबकुछ है तेरा
कुछ नहीं है मेरा।
बने बनाए
दुनियां में कुछ नहीं है मेरा,
सबकुछ है तेरा
कुछ नहीं है मेरा।
-राहुल
कुमार दोषी
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