Thursday, January 30, 2014

एक क्षणिका

ख़त
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यह सोचकर भी तुम
दो शब्द ख़त में न लिख सके
कि मैं तुम्हें भूल पाऊँगा
मैंने ख़त लिखकर भी
अपने पास रखा है,
क्या तुमने ऐसे ख़तों का 
दर्द महसूस किया है?
================================ सपन

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